बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-1 संस्कृत बीए सेमेस्टर-1 संस्कृतसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-1 संस्कृत
प्रश्न- महर्षि वाल्मीकि का संक्षिप्त परिचय देते हुए यह भी बताइये कि उन्होंने रामायण की रचना कब की थी?
अथवा
'मा निषाद ! प्रतिष्ठा त्वं गमः शाश्वती समाः' यह पंक्ति किस ग्रन्थ की है?
उत्तर-
महर्षि वाल्मीकि का संक्षिप्त परिचय तथ रामायण का रचनाकाल महर्षि वाल्मीकि लौकिक संस्कृत साहित्य के आदिकवि हैं। इन्हें संस्कृत के प्रथम कवि की प्रतिष्ठा प्राप्त है। इन्होंने आदिकाव्य रामायण की रचना की है। महर्षि वाल्मीकि और उनके द्वारा रचित आदिकाव्य रामायण के समय निर्धारण के सम्बन्ध में विद्वानों में मतभेद है। जर्मन के सुप्रसिद्ध विद्वान् याकोबी का अभिमत है कि मूल रामायण की रचना 800-600 ई0 पूर्व में हुई होगी। प्रो0 वेबर ग्रीस के कवि होमर के पश्चात् रामायण का रचनाकाल मानते हैं। प्रो0 कीथ रामायण का रचनाकाल ई. पू. चतुर्थ शताब्दी मानते हैं। रामायण में पाणिनि व्याकरण से असिद्ध प्रयोग प्राप्त होते हैं। अतः रामायण की रचना पाणिनि से पूर्व सिद्ध होती है।
कतिपय विद्वान् रामायण के बीच-बीच में प्रक्षिप्तांश बतलाते हैं। सुप्रसिद्ध विद्वान् याकोबी रामायण के अयोध्याकाण्ड से लंकाकाण्ड के भाग को वाल्मीकि विरचित मानते हैं और शेष भाग को प्रक्षिप्त बतलाते है। आदिकाव्य रामायण के रचना के विषय में प्रसिद्ध है कि एक दिन माध्यन्दिन सवन के लिए महर्षि वाल्मीकि तमसा नामक नदी के तट पर पहुँचे। वहाँ व्याघ्र के द्वारा मारे गये क्रौञ्च युगल में से एक को विलाप करते हुए देखकर सहसा ही उनके मुख से ये उद्गार निकल पड़े -
मा निषाद! प्रतिष्ठां त्वमगमः शाश्वतीः समाः।
यत्कौञ्चमिथुनादेकमवधीः काममोहितम्॥
महर्षि वाल्मीकि का यही शोक श्लोक का रूप धारण कर लेता है-
सोऽनुव्याहरणाद् भूयः शोकः श्लोकत्वमागतः।
वे विचार करने लगते हैं कि चरणों में आबद्ध समान अक्षरों से युक्त और तन्त्रीलय से समन्वित शोक के कारण मेरे द्वारा कहा गया यह 'श्लोक' ही है -
पादबद्धोऽक्षरसमः तन्त्रीलयसमन्वितः
शोकार्तस्य प्रवृत्तो मे श्लोको भवतु नान्यथा।।
इसी अनुष्टुप् छन्द के द्वारा ही लौकिक संस्कृत में काव्य का जन्म हुआ है।
काव्य सौष्ठव की दृष्टि से रामायण एक महान कृति है। इसकी भाषा सरल, सरस, स्वाभाविक, माधुर्य ओर प्रसाद गुण से ओत-प्रोत है। भाषा सौष्ठव की दृष्टि से निम्नलिखित पद्य का अवलोकन करें-
जलं प्रसन्नं कुसुमप्रहासं
क्रौञ्चस्वनं शालिवनं विपक्त्रम्।
मृदुश्च वायुर्विमलश्च चन्द्रः
शंसन्ति वर्षव्यपनीतकालम्॥
रामायण में करुण रस की प्रधानता है। ध्वन्यालोककार आनन्दवर्धन लिखते हैं।
"रामायणे ही करुणोरसः "
शरत्कालीन वर्णन को देखें -
"दर्शयन्ति शरन्नद्यः पुलिनानि शनैः-शनैः।
नवसङ्गमसव्रीडा जघनानीव योषितः॥'
शरत्कालीन नदियाँ अपने तटों को शनैः-शनैः दिखला रही है। जिस प्रकार से नये समागम (संगम) के कारण लज्जा से युक्त सुन्दरियाँ अपनी जाँघों को धीरे-धीरे ही दिखाती (खोलती) हैं।
रामायण में अनुप्रास, उपमा, रूपक, उत्प्रेक्षा, अतिशयोक्ति, प्रतीप आदि अलंकारों का प्रयोग किया गया है। समासोक्ति अलंकार से विभूषित निम्नलिखित पद्य का अवलोकन करें-
चञ्चच्चन्द्रकर स्पर्शहर्षोन्मीलिततारका।
अनुरागवती सन्ध्या जहाति स्वयमम्बरम्॥
चंचल चन्द्रकिरण के स्पर्श के हर्ष से मानो तारों को उन्मीलित करने वाली लालिमा से युक्त स्वयं ही आकाश को छोड़ रही है। यहाँ नायिका के पक्ष में इस प्रकार का अर्थ निकलेगा - चंचल नायक के कर- स्पर्श से उत्पन्न आनन्द से अपनी कनीनिकाओं को उन्मीलित करने वाली अनुरागवती नायिका स्वयं ही वस्त्र को छोड़ रही है (खोल रही है)।
रामायण में प्रकृति का सुन्दर चित्रण हुआ है। उदाहरण के लिए वर्षा वर्णन के एक पद्य को देखें -
घनोपगूढं गगनं न तारा
न भास्करो दर्शनमभ्युपैति।
नवैर्जलौधैर्धरणी वितृप्ता
तमोविलिप्ता न दिशः प्रकाशः॥
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रामायण का सांस्कृतिक पक्ष उत्कृष्ट है। इसमें सर्वत्र भारतीय संस्कृति प्रतिबिम्बित हो रही है। जिस समय रावण का वध होता है उस समय भगवान राम विभीषण से इस प्रकार कहते हैं -
मरणान्तानि वैराणि निवृत्तं नः प्रयोजनम्।
क्रियतामस्य संस्कारो ममाप्येष यथा तव।
( अर्थात् शत्रु की मृत्यु तक ही बैर रहता है। (इसके मर जाने से) हम लोगों का उद्देश्य पूरा हो गया है। अब इसका संस्कार कीजिए यह जैसा तुम्हारा सम्बन्धी है वैसा ही मेरा।)
अतएव रामायण को लक्ष्य कर उचित ही कहा गया है -
सदूषणापि निर्दोषा सखरापि सुकोमला।
नमस्तस्मै कृता येन रम्या रामायणी कथा।"
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- प्रश्न- किरातार्जुनीयम् की कथावस्तु एवं चरित्र-चित्रण पर प्रकाश डालिए।
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- प्रश्न- कालिदास की सौन्दर्य योजना पर प्रकाश डालिए।
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- प्रश्न- निम्नलिखित श्लोकों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए -
- प्रश्न- महाकवि भर्तृहरि के जीवन-परिचय पर प्रकाश डालिए।
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- प्रश्न- हल सन्धि किसे कहते हैं?
- प्रश्न- निम्नलिखित सूत्रों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- निम्नलिखित सूत्रों की व्याख्या कीजिए।